जिला हिसार में भी कर्मचारियों में पोस्टल बैलट जारी करवाने को लेकर भारी उत्साह: दिनेश पाबड़ा
गारंटी के रूप में ओपीएस बहाली का वादा कर रही पार्टी को करेंगे वोट: स्वराज वर्मा
लोकसभा चुनाव परिणाम में कर्मचारियों की रही अहम भूमिका: अमर कुमार
हरियाणा में विधानसभा चुनाव में ओल्ड पेंशन स्कीम का मुद्दा गर्म है। प्रदेश के कर्मचारी और अधिकारी पिछले कई सालों से पेंशन बहाली संघर्ष समिति के बैनर तले लगातार ओपीएस बहाली के लिए आंदोलन करते रहे लेकिन उसके बावजूद अभी तक ओ.पी.एस. मुद्दे का कोई समाधान सरकार नहीं निकाल पाई। जिसको लेकर कर्मचारियों व अधिकारियों में सरकार के प्रति भारी नाराजगी है। पेंशन बहाली संघर्ष समिति द्वारा विधानसभा चुनाव में वोट फ़ॉर ओपीएस मुहिम चलाई जा रही है जिसके लिए प्रत्येक वार्ड और गाँव में संघर्ष समिति द्वारा अपने पदाधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है जो धरातल पर वोट फ़ॉर ओपीएस मोहिम को मजबूत कर रहे है।
जिला प्रधान दिनेश पाबड़ा ने बताया कि जिला हिसार के कर्मचारियों में इस बार अपनी वोट फॉर ओपीएस की मुहिम को लेकर बहुत सजगता है जिसके चलते हिसार में पोस्टल बैलेट बनवाने वाली टेबलों पर कर्मचारियों की भीड़ लगी रहती है। कर्मचारियों को यह कहते हुए सुना जाता है की इस बार अपना वोट पोस्टल बैलेट के जरिए हर हाल में डालना है और अगली सरकार OPS की सरकार बनानी है।
लोकसभा चुनाव परिणाम में कर्मचारियों की रही अहम भूमिका
हरियाणा में लोकसभा चुनाव के दौरान भी ओपीएस का मुद्दा प्रभावी रहा था। कर्मचारियों की नाराजगी का ही परिणाम था कि 10 लोकसभा सीट जितने का दावा करने वाली बीजेपी पांच सीटों पर सिमट कर रह गई थी।
हरियाणा में 2.90 लाख सरकारी कर्मचारी है इसके इलावा लगभग 40 हजार हरियाणा निवासी कर्मचारी ऐसे है जो केंद्रीय विभागों और अर्धसैनिक बलों में नियुक्त है जिनपर नई पेंशन योजना एन.पी.एस. लागू की गई ओ.पी.एस. बहाली की मांग कर रहे है। एक कर्मचारी के परिवार में औसतन 5 मतदाताओं के हिसाब से कुल वोटरों की संख्या 15 लाख से ज्यादा बनती है। इस प्रकार प्रत्येक विधानसभा अनुसार कर्मचारियों का 15 हजार से ज्यादा वोट कर्मचारियों के है जो विधानसभा चुनाव में हार - जीत के परिणाम को तय करने के किए काफी है।
2023-24 का साल रहा ओ.पी.एस आंदोलन के नाम
2023 में पूरा साल ओ.पी.एस आंदोलन चलता रहा। पेंशन बहाली संघर्ष समिति द्वारा 19 फरवरी 2023 को पंचकूला में मुख्यमंत्री आवास घेराव किया गया जिसमें प्रदर्शनकारी कर्मचारियों पर सरकार द्वारा लाठीचार्ज और आंसूगैस का प्रयोग किया गया। 16 अप्रैल को जिला स्तरीय आक्रोश प्रदर्शन व 1 अक्तूबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में पेंशन शंखनाद महारैली की गई, इसके बाद 11 फरवरी 2024 को जींद के एकलव्य स्टेडियम में संघर्ष समिति द्वारा ओपीएस संकल्प महारैली कर वोट फ़ॉर ओपीएस की शपथ ली गई। लोकसभा चुनाव के बाद से भी लगातार ओपीएस का आंदोलन जारी है संघर्ष समिति द्वारा 28 जून से 13 अगस्त तक सभी जिला मुख्यालयों पर काले कपड़े पहन कर आक्रोश मार्च निकाला गया। 1 सिटेम्बर को पंचकूला में मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने की तैयारी चल रही थी लेकिन चुनाव आयोग द्वारा एक महीने पहले चुनाव घोषणा के बाद संघर्ष समिति द्वारा 25 अगस्त को अम्बाला में मण्डल स्तरीय ओपीएस तिरंगा मार्च निकाला गया तथा 1सितंबर को हिसार में 6 जिलों हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, जींद भिवानी और चरखी दादरी के कर्मचारियों द्वारा राज्य नेतृत्व में OPS तिरंगा मार्च निकाला गया जिसमे 15 हजार से ज्यादा कर्मचारियों ने भाग लिया।
कर्मचारियों की इस एकता और ताकत को देखकर हरियाणा सरकार बौखला गई तथा 8 सितंबर को रोहतक में जो मण्डल स्तरीय मार्च निकाला जाना था उसे सरकार द्वारा प्रशासन पर दबाव बना रद्द करवा दिया गया।
जून की भीषण गर्मी में निकाली गई जनजागृति साइकिल यात्रा
पेंशन बहाली संघर्ष समिति द्वारा जून 2023 में 2 जून से नांगल चौधरी से साइकिल यात्रा शुरू कर सभी जिलों से होते हुए 23 जून को पंचकूला में राज्यपाल के नाम ज्ञापन दे यात्रा का समापन किया गया। इस यात्रा में संघर्ष समिति को सामाजिक संगठनों और कर्मचारी परिवारों का भारी समर्थन मिला।
केन्द्र सरकार द्वारा जारी यूनिफाइड पेंशन स्कीम से बढ़ी नाराजगी
केन्द्र और हरियाणा सरकार द्वारा ओपीएस को बहाली के लिए कमिटी के गठन तो किया गया लेकिन ओपीएस बहाल करने की बजाए केन्द्र सरकार द्वारा ओपीएस को बजाए यूनिफाइड पेंशन स्कीम यूपीएस लाई गई। लेकिन यूपीएस भी कर्मचारियों की नाराजगी को दूर नहीं कर पा रही है।
विधानसभा चुनाव में वोट फ़ॉर ओपीएस की चला रहे मुहिम
संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष विजेन्द्र धारीवाल ने कहा कि लगातार धरने प्रदर्शन, रैलियां करने के बावजूद भी सरकार द्वारा ओपीएस बहाल नहीं कि गई जिसको लेकर कर्मचारियों में भारी नाराजगी है और प्रत्येक कर्मचारी ओपीएस नहीं तो वोट नहीं कि शपथ ले चुका है। 5200 से अधिक गांव और सभी शहरी वार्डो में संघर्ष समिति के पदाधिकारियों द्वारा वोट फ़ॉर ओपीएस मुहिम को धरातल पर लागू किया जा रहा है। धारीवाल ने कहा कि अब हमारा समय है संविधान द्वारा हमें वोट का अधिकार दिया गया है उसका प्रयोग अपने मुद्दे के लिए करेंगे। सेंकडो प्रयास, वार्ता के बावजूद सरकार ने ओपीएस बहाल नहीं की। प्रदेश का प्रत्येक कर्मचारी व उनका परिवार वोट फ़ॉर ओपीएस मुहिम को लेकर भारी उत्साह में है अब विधानसभा चुनाव में कर्मचारी और उसका परिवार गारंटी के रूप में ओपीएस बहाल करने का वादा करने वाले दल को मतदान करेगा।
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