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Technology 2024-08-11 15:28:16

भावी पीढिय़ों के लिए शुद्ध जल, भोजन व हवा बचाने के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाएं किसान : आचार्य देवव्रत

हिसार, 11 अगस्त रवि पथ न्यूज़ :

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के इंदिरा गांधी ऑडिटोरियम में प्राकृतिक कृषि संवाद कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने किसानों से किया सीधा संवाद

आज हम उत्पादन बढ़ाने के लिए खेतों में अंधाधुंध खाद व कीटनाशकों का प्रयोग कर रहे हैं। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति कम होने के साथ-साथ कैंसर, शुगर व हार्ट अटैक जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही है। ऐसे में अगर हमें भावी पीढिय़ों को शुद्ध जल, भोजन व हवा उपलब्ध करवानी है तो प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा।

यह बात गुजरात के महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने रविवार को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के इंदिरा गांधी ऑडिटोरियम में आयोजित प्राकृतिक कृषि संवाद कार्यक्रम में दीप प्रज्जवलन करने उपरांत किसानों से संवाद करते हुए दी। विश्वविद्यालय पहुंचने पर महामहिम राज्यपाल को पुलिस विभाग की टुकड़ी द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार प्राकृतिक कृषि को बढ़ावा देने के लिए पूरे देश में संवाद कार्यक्रम आयोजित कर रही है और इसी कड़ी में आज हरियाणा के किसानों के बीच आकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। राज्यपाल ने कहा कि किसानों को लगता है कि प्राकृतिक खेती से नुकसान होगा लेकिन ऐसा नहीं है। आज हरियाणा के काफी किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और उनको इसका लाभ भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि जहां रासायनिक खादों व कीटनाशकों का प्रयोग ज्यादा होता है, वहां कैंसर के तीन गुना ज्यादा मामले हैं।


राज्यपाल ने कहा कि हरित क्रांति की शुरुआत में जब स्वामीनाथन जी ने नाइट्रोजन खाद के लिए कहा तो इस समय एक हेक्टेयर में मात्र 13 किलो प्रयोग करने की सलाह दी थी। लेकिन आज हम कई कट्टे यूरिया व डीएपी फसलों में प्रयोग कर रहे हैं। उपस्थित लोगों को आगाह करते हुए राज्यपाल ने कहा कि आज हम उत्पादन के नाम पर जहर खा रहे हैं। ऐसी स्थिति में भावी पीढ़ियों के संरक्षण व अच्छे स्वास्थ्य के लिए हमें प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा। उन्होंने प्राकृतिक खेती के लिए तैयार होने वाले जीवामृत को तैयार करने की विधि भी बताई। उन्होंने बताया कि इसे तैयार करने में गाय का गोबर, बेसन, गुड़, मिट्टी ही प्रयोग होती है। उन्होंने कहा कि इस जीवामृत के प्रयोग से धरती आसमान से ही नाइट्रोजन प्राप्त करती है और खतरनाक केमिकल भी हमारे शरीर के अंदर नहीं जाते। प्राकृतिक खेती का लाभ बताते हुए उन्होंने कहा कि जब धरती में सूक्ष्म जीवाणु बनेंगे तो पैदावार भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि पिछले दिनों दिल्ली में आयोजित देशभर के गवर्नरों के कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने भी प्राकृतिक खेती को देशभर में बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग को कार्य योजना बनाने के निर्देश दिए हैं। कार्यक्रम में महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत को स्मृति चिन्ह एवं शॉल भेंट कर सम्मानित भी किया।


अपने संबोधन में विधानसभा उपाध्यक्ष रणबीर गंगवा ने किसानों से कहा कि खेती में पेस्टीसाइड का प्रयोग कम कर खेती की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकता है। रासायनिक खादों का अत्याधिक प्रयोग किए जाने के कारण जमीन की उर्वरा शक्ति में कमी आई है। उन्होंने किसानों से अनुरोध करते हुए कहा कि फसल अवशेषों को न जलाकर अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण को सुरक्षित रखने में भी सहयोग करें। फसल अवशेषों के जलने के साथ-साथ भूमि की उर्वरा शक्ति में कमी आती है। इस अवसर पर किसानों द्वारा प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया। इसमें किसानों द्वारा अपने उत्पादों को प्रदर्शित किया गया। महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने प्राकृतिक खेती अपनाने वाले प्रगतिशील किसानों को सम्मानित भी किया।


कार्यक्रम में हांसी के विधायक विनोद भयाना, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. डॉ बीआर कंबोज, माटी कला बोर्ड के चेयरमैन ईश्वर मालवाल, भाजपा जिलाध्यक्ष अशोक सैनी, पूर्व राज्यसभा सांसद डीपी वत्स, श्रम कल्याण बोर्ड चेयरमैन नरेश जांगड़ा, जिला परिषद चेयरमैन सोनू सिहाग, एसडीएम जयवीर यादव, कार्यक्रम संयोजक एवं पूर्व चेयरमैन रणधीर सिंह धीरू, पूर्व चेयरमैन सतबीर वर्मा,  कृषि एवं किसान कल्याण विभाग उप निदेशक डॉ राजबीर सिंह, अरुण यादव सहित कई गणमान्य व्यक्ति एवं किसान उपस्थित रहे।



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